By Devang Jayswal
कहानी
ये तेरा कैसा तमाशा है ?
तू बांटे हे किस्सों मे मुझको,
लम्हा लम्हा भी तरसाती है ।
यादो की महफ़िल भी सजाऐ तू,
हकीकत की शक्ल भी तू दिखाती है ।
कहानी
ये तेरा कैसा तमाशा है?
तू खींचे है उसकी खुशबु से भी मुझको,
उन बागिचों से दूर भी भगाती है ।
मेरा अक्स भी उसे बनाए तू,
सायों के फासले भी तू दिखाती है।
कहानी
ये तेरा कैसा तमाशा है?
इश्क की गली से गुजरता,
ऐ कहानी
ये तेरा कैसा तमाशा है?
By Devang Jayswal
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