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The Alchemist

Updated: Feb 22, 2024

By Sanad Jhariya


एक चरवाहा स्पेन का अपनी भेड़ो के साथ घर से निकल जाता है,

नई जगहों में घूमने के अपने सपने को सोचता जाता है।

गिरजाघर के पास वो रखता है भेड़ो के लिए घास,

एक लड़की को सोचते हुए सो जाता है एक पेड़ के पास।


गहरी नींद में उसे एक सपना आता है,

मिस्र में पिरामिड के नीचे खजाना गड़ा नज़र आता है।

बार-बार एक ही सपना बढ़ाता है उसकी तलब,

एक बूढ़ी औरत से पूछता है अपने सपने का मतलब।


औरत कहती है कि तू जा कर खजाने की तलाश,

ये तो कोई भी बता देगा सोचके हो जाता है वो हताश।

समुद्र के किनारे बैठकर समेटता है वो अपनी सांस,

खुद को सलेम का राजा बताता एक आदमी आता है उसके पास।


आदमी शुरू करता है जिंदगी के बारे में बताना,

चरवाहा चाहता है उससे पीछा छुड़ाना।

अचानक से कहता है कि जा तू कर अपने खजाने की खोज,

जिंदगी नहीं देती ऐसा मौका हर किसी को रोज़।


आदमी का ऐसा कहना बढ़ा देता है उसकी आशाएँ,

अपनी भेड़ो को बेच के ले आता है सोने की मुद्राएँ।

उसकी हिम्मत बांधते है ये प्रकृति के इशारे,

निकलता है मिस्र की ओर अपने दिल के सहारे।




नई जगह पहुँच के उसका दिल घबराता है,

एक अंजान पे भरोसे से उसका सब कुछ चोरी हो जाता है।

सोचता है कि कुछ पैसे कमाके वतन अपने वापस चला जाएगा,

अपनी भेड़ो को दोबारा ख़रीद के आसान जिंदगी बिताएगा।


शुरू करता है वो एक रत्नाकर के यहाँ काम,

नए नए तरीको से बढ़ाता है वो दुकान का नाम।

एक साल उस जगह वो अपना वक्त बिताता है,

लौट जाने के लिए वो बहुत पैसा कमाता है।


खजाने का ख्याल उसके मन को सताता है,

दिल उसको उसका लक्ष्य याद दिलाता है।

सोचता है अब यहां से लौटके नहीं जाऊंगा,

पिरामिड पहुंच के खजाना ले के आऊंगा।


उस दुकान से बांधता है वो अपना सामान,

एक कारवां के साथ निकल पड़ता है वो रेगिस्तान।

कीमिया सीखने जाता एक अंग्रेज़ उससे टकराता है,

तांबे को सोने में बदलने वाले कीमियागर से जो मिलने जाता है।


बीच रेगिस्तान में युद्ध की खबर आती है,

चरवाहे की फिर से धड़कने बढ़ जाती हैं

एक नकलिस्तान में वो लोग ठिकाना पाते हैं

और उसके नैन एक लड़की से टकराते हैं।


रेगिस्तान में उसकी आंखो में एक दृश्य आता है,

और नकलिस्तान को वो खतरे में पाता है।

सभी को वो इस खतरे से बचाता है

और फिर वहां का कुलाधिपति बन जाता है।


सोचता है कि उसे अब कहीं नहीं जाना है,

लड़की से शादी करके यहीं जीवन बिताना है।

लेकिन उसको वहीं पे कीमियागर मिल जाता है

और पिरामिड में खजाने की तलाश में ले जाता है।


कुछ दिन बाद रेगिस्तानी जनजाति के लोग उन दोनों को मिल जाते हैं,

फिर से चरवाहे के दिल के तार हिल जाते हैं।

सब कुछ उनसे वो छीन लेते हैं,

सारे हथियार अपने उनपे तीन देते हैं।


कीमियागर चरवाहे को एक कीमियागर बताता है,

बोलता है ये खुद को मिट्टी में बदल पाता है।

ये सुनके जनजाति का मुखिया चकराता है,

चरवाहे को ये करते देखना चाहता है।


ये करने के लिए वो तीन दिन का वक्त मांगता है,

घबराकर रेगिस्तान के आगे रोज बैठ जाता है।

खुद को बदलने के लिए वो हवाओं से करता है जिद,

ये देखने सब खड़े रहते हैं उसके इर्द-गिर्द।


रेगिस्तान, हवा, सूरज सभी से वो बात कर पाता है,

अंत में अपनी आत्मा को ही सबसे प्रबल पाता है।

कभी ना फिर उस दिन जैसी हवा झूमती है,

उसको मिट्टी में बदल के उसके पांव चूमती है।






ये देखके पूरी जनजाति जाती है घबरा,

लौटा देती है डरके उसका सामान सबरा।

थोड़ा आगे जाके कीमियागर अपना रास्ता मोड़ता है,

अकेले आगे जाने को चरवाहे से बोलता है।


पिरामिड की भव्यता देख के उसके नैन चकराते हैं,

आसूं उसके उसको खजाने की जगह बताते हैं।

ज़मीन खोदने के लिए वो अपना पूरा दम लगाता है,

बहुत कोशिशों के बाद भी वो कुछ नहीं पाता है।


उतने में दो चोर उसके पास पहुँचते हैं,

सब छीन के उसके शरीर को जोड़ों से कुचलते हैं।

बेशुद वहां वो लेट जाता है,

अपने सपने के पीछे जाने के फैसले को वो गलत पाता है।


अपना हाल वो उन चोरों को बताता है,

दोनों में से कोई अपनी हंसी नहीं रोक पाता है।

एक बोलता है दो साल पहले मुझे भी इसी जगह एक सपना आया था,

मैंने स्पेन में एक गिरजाघर के नीचे खजाने को पाया था।


इतना सुनते ही वो अपने पैरों पर खड़ा होता है,

कुछ देर के लिए और जमके वो रोता है।

मानो सामने पिरामिड उसको देखेके हंसता है,

ख़ज़ाना असल में था कहाँ वो समझता है।


वापस जाके वो खजाने को चर्च से निकालता है,

वो हवाओं से सारे सवाल पुकारता है।

हवाएँ कहती हैं अगर तू यहीं बैठे-बैठे खजाने को निकाल पाता,

तो नई जगहोंमेंघूमनेके अपने सपने को कभी ना जी पाता।


By Sanad Jhariya



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