top of page

Tum Aur Main

Updated: Mar 12, 2024

By Narendra Rajpurohit


तुम और मैं

कही न कही फिर मिल ही जायेगे

इंतजार होगा, इम्तिहान होगा

मौसम बदलता रहेगा और शायद हमारा रिश्ता भी

लेकिन

कही न कही फिर मिल ही जायेंगे

ये रास्ते ये गलियां,

हमेशा गवाह रहेंगी हमारी यादों की,

मगर अब तुम नहीं हो...





मैं भटकता रहता हूं इन गलियों में

एक आस लिए, तुमसे मुलाकात की

एक प्यास लिए, तुम्हारे मुस्कुराहट की

बस भटक ही रहा हूं....

ये बादल भी महीनों से भरे हुए हैं, पता नही कब बरस जाए...

और फिर इन्ही गलियों से चलते चलते एक मोड़ आता हैं,

एक ठंडी हवा का झोंका आकर इन बादलों से टकराता हैं,

और

अचानक सारा मौसम ही बदल जाता हैं,

बरसात शुरू होती हैं

तुम्हारे उन शब्दों को सुनकर

" अब बहुत देर हो चुकी हैं "


By Narendra Rajpurohit




Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
SIGN UP AND STAY UPDATED!

Thanks for submitting!

  • Grey Twitter Icon
  • Grey LinkedIn Icon
  • Grey Facebook Icon

© 2024 by Hashtag Kalakar

bottom of page