Sep 8, 20231 min readUntitled Rated 0 out of 5 stars.No ratings yetBy Birkunwar Singh क्या हुआ इस दौर ए हाज़िर को नानकमान बैठे तुझे अपनी अमानतफूल भी मुरझाये,मुरझाए गरीब सारेसबने चुना अपना खुदाखाली रह गए फकीर सारेBy Birkunwar Singh
By Birkunwar Singh क्या हुआ इस दौर ए हाज़िर को नानकमान बैठे तुझे अपनी अमानतफूल भी मुरझाये,मुरझाए गरीब सारेसबने चुना अपना खुदाखाली रह गए फकीर सारेBy Birkunwar Singh
दरमियान।।...By Abhimanyu Bakshi ज़िंदगी है फ़ुरसत-ओ-मसरूफ़ियत के दरमियान, मैं खड़ा हूँ तसव्वुर-ओ-असलियत के दरमियान। एक हसरत थी दोनों में राब्ता...
अनंत चक्रBy Shivam Nahar वो थक के रुक के टूट जाए, जब नकारा जाए जीवन में और बांध फूटने दे देह का, जो शांत पड़ा है इस मन में, बस डाल दे हथियार सभी,...
इंतज़ारBy Vanshika Rastogi तुम्हे शायद इतना याद कभी न किया होगा, जितना मैंने इस एक दिन में किया है। तेरी कमी खलेगी इस दिल को, मगर एक आस भी...
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