By Shudhanshu Pandey
ये एक फूल से बच्चे की कहानी है,
जिसके एक मुस्कान पर दुनिया दीवानी है।
वह जैसे सौंदर्य का भंडार, प्रकृति का श्रृंगार,
नैन नक्श की बात निराली, जैसे हो कोई देवता का अवतार।
कुछ साल बीते अब वह थोड़ा बड़ा हुआ,
ज्यादा नहीं बस पैरों पर खड़ा हुआ,
बचपन को जीने की आस में, चांद को पाने की काश में,
अब वह निकल पड़ा नए चेहरे की तलाश में।
जिंदगी ने अब एक नया मोड़ अपनाया,
अब वह लोगों की नजरों में आया।
कुछ लोगों ने उसे एक नया खेल बताया,
उसे अपने साथ अपने बिस्तर पर सुलाया।
वह दर्दनाक खेल बच्चे को समझ में नहीं आया,
"किसी को बताए तो मारे जाओगे" एक ऐसी ही आवाज उसके कानों तक आया।
डर के मारे बच्चा बस कांपता रह गया,
बचपन तो उसी दिन मर गई, बस वह बच्चा जिंदा रह गया।
मां के काले टिके का असर अब बेकार होने लगा,
अब अक्सर वह बच्चा हवस का शिकार होने लगा।
मरने के खौफ से वह चुपचाप सब सहता रह गया,
इस्तेमाल मत करो मेरे जिस्म का अपने हवस के लिए,वह बस कहता रह गया।
उस मासूम के आंखों पर खौफ का पर्दा चढ़ने लगा,
उसके सपनों की दुनिया में अब आग लगने लगा।
अब उसकी ख्वाहिश नहीं चांद तक जाने की,
अब कोई गुंजाइश नहीं बचपन को पाने की।
बचपन जो होता है ईश्वर का आशीर्वाद, उसे एक अभिशाप बना दिया,
अभी तो दुनिया देखी भी नहीं थी उसने, और उसे एक चलता फिरता लाश बना दिया।
हालात ने बचपन छीन लिया अब नजर जवानी पर भी है,
वह रूह कांपने वाली रातें याद कहानी अब भी है।
हर एक लम्हा उसने तन्हाई में बिता दिया,
मीठी सी मुस्कान के पीछे हर जख्मों को छुपा दिया।
किसे पता किसका बचपन कैसा बीता होगा,
वह हर पल हंसने वाला चेहरा किस दर्द में जीता होगा।
By Shudhanshu Pandey
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