By Kishan Gopal Shahu
मैं और मेरी प्रेयसी ,
हमारे प्यार के किस्से कहानियां महफिलों के दिलकशि
मैं उसमें , मुझमें वो थी ।
मैं दीवाना वो मेरी दीवानी थी
मैं दवा वो दुआ थी
मैं प्यासा वो पानी थी ,
मैं कोरा कागज वो लेखनी ,
मैं कलम वो स्याही ।
मैं दीवाना वो मेरी दीवानी थी
नयन मेरे निगाहों में वो थी
बाह मेरे बाहों में वो थी।
हा ये बारिश उन्ही बीते लम्हों की याद दिलाती है।
न जाने उस पल हमे किसकी नजर लग गई थी,
हमे मिली वो मंजिल जिसमे हमारे बिछड़ने की साजिश की गई थी ।
हमे ये नामंजूर था ।
हमे ये नामंजूर था
मगर कागज को कलम के बिना और कलम को स्याही के बिना जीना ही था।
हा ये मौसम उन्ही लम्हों को याद दिलाता है।
अब तो वर्षों हो गए है उनसे बिछड़े हमे
क्या पता याद भी होंगे हम उन्हें , और वो रात जो बिताए थे साथ में हमने ।
कहा होगी किस हाल में होगी वो
क्या उसे भी मेरी याद आती होगी
क्या ये बारिश उसे भी उन बीते लम्हों का अहसास दिलाती होगी।
कहा होगी किस हाल में होगी वो।
By Kishan Gopal Shahu
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