By Karan Bardia
छुप कर हॉर्लिक्स खाने से लेकर छुप कर रोने का सफ़र है ज़िंदगी,
माँ-बाप की डांट से बचने के लिए छुपने से लेकर माँ-बाप की आवाज़ सुनने के लिए तरसने का सफ़र है ज़िंदगी,
लोग तो मौत को यूंही बदनाम करते हैं,
मौत से डरने से लेकर मौत की ख़्वाहिश करने का सफ़र है ज़िंदगी।
दुनिया घूमने के सपने देखने से लेकर दुनिया छोड़ने के ख्याल तक का सफ़र है ज़िंदगी,
बचपन में जल्दी बड़े होने के सपने देखने से लेकर हम बच्चे ही अच्छे थे ऐसा सोचने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
अरे मेरे प्यारे दोस्तों हर पल को जी भर के जी लो, ना जाने कब क्या हो जाए कोई भरोसा नहीं,
अकेले रहने का सपने देखने से लेकर अपनों के साथ को तरसने तक का सफ़र है ज़िंदगी।
मैं कब बड़ा होऊंगा कब नए शहर जाऊंगा सोचने से लेकर अपने घर वापसी के दिन गिनने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
हर त्यौहार को जी भर के मनाने से लेकर सबको व्हाट्सएप पर त्यौहार की बधाई देने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
हम यूंही समाज को बदनाम करते हैं,
बेधड़क बेख़ौफ़ चलने से लेकर समाज का हिस्सा बनकर उसके हिसाब से चलने तक का सफ़र है ज़िंदगी।
अँधेरे कमरों से डरने से लेकर उन्हीं अँधेरे कमरों में सुकून पाने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
बिना सारी ख़ुशी बताने से लेकर सोच समझकर मुस्कुराने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
लोग यूंही कहते हैं कि लड़का समझदार हो गया है,
अरे अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने की सोचने से लेकर अपनी ख्वाहिशों को भूलने तक का सफ़र है ज़िंदगी।
"मैं कभी झुकेगा नहीं साला" सोचने से लेकर "डर तो सबको लगता है सर" डायलॉग को मानने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
हर छोटी चोट पर रोने से लेकर पंखे से लटकते हुए एक आंसू भी नहीं बहने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
अरे सब यूंही मौत को बदनाम करते हैं,
मौत बड़ी भयानक चीज़ है वाली सोच से लेकर मौत ही एक वफ़ादार है दुनिया में सोचने तक का सफ़र है ज़िंदगी।
सब अपने ही हैं से लेकर तू मेरी जात का नहीं है सोचने तक का सफ़र सफर है ज़िंदगी,
साथ बैठकर खाने से लेकर अकेले भूखे पेट सोने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
लॉग यूंही कोसते है एक दूसरे को,
बिना किसी रिश्ते के मदद करने से लेकर बिना मतलब के किसी से हाल चाल न पूछने तक का सफ़र है ज़िंदगी।
बिना डरे बिना झुके सच बोलने से लेकर अपने मतलब के लिए झूठ बोलने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
प्यार तो किसी से भी हो जाएगा से लेकर अगर ये ना मिली तो मर जाऊंगा सोचने तक का सफ़र है ज़िंदगी,
हम तो यूंही इतना कुछ सोचते रहते हैं,
कर जीने से लेकर अब तो बस मौत ही आख़िरी सहारा है सोचने तक का सफ़र है ज़िंदगी।
By Karan Bardia
"Your poem is truly captivating and holds a unique charm. Keep expressing your thoughts through your beautiful words. Looking forward to more!"
So nicely written
Amazing
Heartwarming !
Nice read!