By Kushagra Singh
आज अकेला खड़ा हू मैं
कल नया सवेरा लाऊंगा
किस्मत की ठनी है तो क्या
कल किस्मत को भी चमकाऊंगा
फट गए मेरे जब संग अरमान कई
कल उनको भी सिवाऊंगा
माता ने ज़ेवर बेच दिए
कल उसको नये दिवाऊंगा
आज अकेला खड़ा हू मैं
कल नया सवेरा लाऊंगा
काज कर कर बापू की जवानी बिसर गई
कल उनसा जवान बन जाऊँगा
आज अकेला खड़ा हू मैं
कल नया सवेरा लाऊंगा
पत्थर सा कीचड़ मे प़डा हू मैं
कल कमाल पुष्प बन जाऊँगा
जल जल सूरज सा तेज मैं
दुनिया की आंख जलाऊंगा
आज अकेला खड़ा हू मैं
कल नया सवेरा लाऊंगा
By Kushagra Singh
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