By Nishant Patil
तुम्हारा साथ अच्छा लगता है,
तुहरे साथ वक़्त गुज़ारना अच्छा लगता है |
तुम हर बात को मना मत किया करो,
इश्क़ टेढ़ा होता है, तुम बस संभल कर चला करो |
समझ नहीं आता तुमसे बात करू या बस तुम्हे देखता रहु,
हर शाम स्टेशन पर बैठे, संग तुम्हारे कुछ और वक़्त गुज़ारू |
तुम्हारी ज़ुल्फ़े इश्क़ का एहसास दिलाती है,
और जब तुम्हारी आखों में देखु, बिना शराब के पुरे बदन में
इश्क़ का नशा चढ़ जाता है |
हर सुबह तुम्हारा इंतज़ार करना अच्छा लगता है,
तुम्हारे साथ चाय पीना अच्छा लगता है.
तुम गुस्से में बहुत प्यारी दिखती हो,
गुस्सा शांत करने के लिए तुम्हे 5-star खिलाना अच्छा लगता है |
मगर आखरी मुलाक़ात पर, रात की आखरी ट्रैन पकड़ते हुए
तुमसे ये पूछना के "फिर कब आओगी?"
इसपर तुम्हारा जवाब न देना तुम्हे अच्छा लगता है |
By Nishant Patil
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