By Rabiya Anwar hussain Shaikh
दो कदमो की दूरी थी
या फासले सदियों के थे वो।
कुछ अधूरी ख्वाइश मेरी थी
तो कुछ अनकही चाहते उनकी भी तो।
क्यो कश्मकश में उलझे
पल दो पल ज़िन्दगी के ठहरे ।
बस कुछ शब्दों की ही दूरी थी
नादा दो दिल नासमझ जो ठहरे।
By Rabiya Anwar hussain Shaikh
👌🏻👌🏻👌🏻