By Ateet Maurya
मुझे बदनाम करते हो कि, मैने इश्क नहीं किया,
कह दो ना सीधे-सीधे कि तुमने रिस्क नहीं लिया,
मै तो किताबों की तरह तुम्हारे साथ रहता था,
तुम तो समझदार थे, मुझे क्यों पढ़ नहीं लिया,
बात थे ,जज्बात थे, दोनों के अन्दर एहसास थे,
ये दोनों को पता था, फिर भी हम अनजान थे,
पहल ना तुम्हारी हुई,और पहल ना हमसे हुआ,
वो बात और है कि,दोनो के दोनों ही परेशान थे,
पुछते जो हाल तुम मेरा,हम तुमको बता ना पाते,
कितना है इश्क तुमसे,हम ये तुमको जता न पाते,
शिकायत तुम्हारा लाजमी है, मगर अधूरा भी है,
ऐसा बिल्कुल नहीं था, तुम हमको मना ना पाते,
तुम कहते हो कि इश्क मुझसे अब भी है तुमको,
तो चलो तय करते है ,इजहार करना है किसको,
चलो मिटा दे मन की दूरियाँ और शिकायते सारी,
मुझे भी हाँ का इन्तजार है, मै भी बता दू तुमको।
By Ateet Maurya
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