By Harsh Chaudhary
पात्र:
1. आर्यन – कहानी का मुख्य पात्र, संघर्षशील व्यक्ति
2. प्रिया – आर्यन की पत्नी, जो बार-बार घर छोड़कर चली जाती है
3. आदित्य – आर्यन का बेटा, जो अपनी माँ के जाने से प्रभावित होता है
4. नैना – आर्यन की बेटी, संवेदनशील और अपने पिता से बेहद जुड़ी हुई
आर्यन का जन्म एक छोटे से गांव में हुआ था। उसकी माँ बताती थीं कि वह काफी मन्नतों के
बाद जन्मा था जब वह जन्मा तो उस नन्हे से बच्चे को देखकर उनका दिल भर आया और
परिवार में खुशियो का माहौल था। लेकिन उनके चेहरे की खुशी तब मुरझा गई जब डॉक्टर ने
बताया कि आर्यन को एक बीमारी है। यह खबर सुनकर उसके माता-पिता टूट से गए, लेकिन
उन्होंने हार नहीं मानी। काफी इलाज के बाद आर्यन ठीक हो गया था। अब परिवार में खुशियां
फिर से लौट कर आ गयी ।
समय बीतता गया । समाज का रवैया हमेशा ही उसके प्रति कठोर रहा। लोग उसकी चाल का
मजाक उड़ाते, उसके संघर्ष पर हंसते। आर्यन ने छोटी उम्र में ही यह जान लिया था कि जिंदगी
उसे आसान रास्ते नहीं देने वाली थी। लेकिन उसने खुद से एक वादा किया कि वह अपनी
जिंदगी को खुद संवारने की कोशिश करेगा, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।
बचपन से ही पढ़ाई में होशियार होने के कारण आर्यन को उम्मीद थी कि वह एक अच्छी नौकरी
पाएगा। उसने अपनी पूरी कोशिश से पढ़ाई की और अच्छे अंकों के साथ कॉलेज भी पास किया।
लेकिन जब नौकरियों की बात आई, तो उसके भागय ने हर बार उसका साथ छोड़ दिया। बार-
बार असफल हो जाने के कारण हर जगह उसे नकारा जाने लगा। वह हर असफलता के बाद
थोड़ा और टूटता, पर खुद को समेटकर फिर खड़ा हो जाता।
कई असफलताओं के बाद आखिरकार एक छोटे से कार्यालय में उसे नौकरी मिल गई। उसने
अपने काम से सबका दिल जीत लिया, और मेहनत के दम पर धीरे-धीरे एक सम्मानित स्थान
हासिल कर लिया। उसकी जिंदगी धीरे-धीरे संभलने लगी थी।
समय बीता और आर्यन के जीवन में प्रिया का आगमन हुआ। प्रिया एक सुंदर और चंचल
स्वभाव की लड़की थी। शादी के पहले कुछ महीने तो बेहद खूबसूरत बीते। आर्यन को लगने लगा
कि उसकी जिंदगी में अब खुशियों का रंग भर गया है। लेकिन धीरे-धीरे उसे महसूस हुआ कि
प्रिया में स्थिरता की कमी थी। उसे जिम्मेदारियां निभाना कठिन लगता था। आर्यन को उसके
सपनों की साथी नहीं, बल्कि एक ऐसी साथी मिली थी जो उसे समझने और उसकी तकलीफों में
उसका साथ देने में नाकाम थी।
समय के साथ उनके दो प्यारे बच्चे हुए – आदित्य और नैना। आर्यन के लिए ये बच्चे उसकी
जिंदगी की नई उम्मीद बन गए। उसने प्रिया के बदलते स्वभाव की वजह से दुख को एक ओर
रखकर अपने बच्चों को एक अच्छा जीवन देने का वादा किया। लेकिन, प्रिया ने उन
जिम्मेदारियों से भी किनारा कर लिया जो एक माँ के रूप में उस पर थीं। एक दिन, बिना किसी
चेतावनी के, प्रिया ने आर्यन और दोनों बच्चों को छोड़ दिया।
आदित्य और नैना की उम्र अभी बहुत छोटी थी, और वे अपनी माँ के अचानक चले जाने से
घबरा गए थे। आदित्य हर रोज दरवाजे के पास खड़ा होकर माँ के लौटने का इंतजार करता,
और नैना उसकी गोद में सिर रखकर रोती रहती। आर्यन भी अंदर से टूट चुका था, लेकिन उसने
खुद को और अपने बच्चों को संभाला। उसने अपनी पूरी कोशिश की कि बच्चों को माँ की कमी
महसूस न हो।
सात साल बीत गए। आर्यन ने अपनी हर जिम्मेदारी निभाते हुए आदित्य और नैना को बड़े
प्यार से पाला। इन सात सालों में वह एक पिता के साथ-साथ एक माँ का भी रोल निभा रहा
था। लेकिन एक दिन अचानक प्रिया लौट आई। बच्चों की आँखों में एक नई चमक आ गई। वे
यह मान बैठे कि उनकी माँ हमेशा के लिए वापस आ गई है। आर्यन के दिल में भी एक उम्मीद
जगी, कि शायद प्रिया ने अपने फैसले पर दोबारा सोचा है।
हालांकि, प्रिया का यह लौटना भी केवल एक भ्रम साबित हुआ। दो महीने बाद, बिना किसी बात
के, वह फिर से उन्हें छोड़कर चली गई। इस बार आदित्य और नैना के दिल में एक गहरी चोट
लगी। उन्होंने अपनी माँ के प्यार का सपना देखना छोड़ दिया।
समय बीतता गया, और अब आर्यन के परिवार में प्रिया की गैर-मौजूदगी का असर कम होने
लगा था। आर्यन ने बच्चों को सिखा दिया था कि खुशियाँ बाहरी चीजों पर नहीं, बल्कि अपने
परिवार के साथ, एक-दूसरे के साथ होती हैं। तीनों ने मिलकर एक खुशहाल जिंदगी की शुरुआत
की।
आठ साल बाद, एक दिन प्रिया फिर लौट आई। लेकिन इस बार वह एक नई कहानी लेकर आई।
उसने बताया कि वह इन सालों में बहुत कुछ समझ चुकी है। आदित्य और नैना ने उसकी बातों
को अनसुना कर दिया, क्योंकि उनके दिल अब उसे लेकर खाली हो चुके थे। लेकिन आर्यन ने
उसे माफ कर दिया, यह सोचकर कि शायद उसकी गलती का पछतावा है।
दो महीने बाद, प्रिया ने फिर घर छोड़ दिया। इस बार न आर्यन ने उसे रोकने की कोशिश की
और न बच्चों ने उसे वापस आने की दुआ की। अब उनके जीवन में प्रिया की कोई जगह नहीं
थी। आर्यन ने अपनी जिंदगी का मकसद अपने बच्चों को खुश रखना बना लिया, और आदित्य
और नैना ने भी इस बात को समझ लिया कि एक सच्चा परिवार वही है जो एक-दूसरे के साथ
बना रहे, चाहे हालात कैसे भी हों।
इस घटना के बाद, आर्यन, आदित्य, और नैना ने अपने भविष्य की ओर देखने का फैसला
किया। वे तीनों मिलकर एक मजबूत और खुशहाल परिवार की तरह जीने लगे। उनके दिल में
कोई कड़वाहट नहीं थी, बस एक नई शुरुआत की उम्मीद थी। अब उनके लिए प्रिया का लौटना
केवल एक भूतकाल की बात थी।
कहानी का संदेश:
कभी-कभी, जिंदगी में लोग हमें छोड़कर चले जाते हैं, लेकिन असली परिवार वही है जो एक-
दूसरे के साथ निभाते हैं। सच्ची खुशियाँ उन रिश्तों में होती हैं जो भरोसे और साथ पर टिके
रहते हैं।
By Harsh Chaudhary
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