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आख़िरी पैग़ाम

Updated: Dec 22, 2023

By Abhimanyu Bakshi


उठाकर चलेंगे जब लोग मेरा जनाज़ा मंज़िल की जानिब,

मेरे दुश्मन भी आँख से तब आंसू बहाएँगे।


ता-उम्र जो हाथ मिलाने से भी कतराते थे,

मेरी अर्थी को चूमकर गले लगाएँगे।


मेरे सूखे बदन पर आँखों में कुछ नमी होगी,

अपने किए सब गुनाह जो आगे आएँगे।




याद करने वालों से कहिएगा कि याद न करें,

वक़्त ही ज़ाया होगा हम न आ पाएँगे।


हमें ख़ास न बेशक महज़ जगह देना ज़िंदगी में,

चले जाएँगे तो शायद बहुत याद आयेंगे।


By Abhimanyu Bakshi






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3 Comments

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Kartik Pahwa
Kartik Pahwa
Jan 11, 2024
Rated 5 out of 5 stars.

Nice poem

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piyushgarment
Jan 11, 2024
Rated 5 out of 5 stars.

Very beautiful poems Gbu. Harish Pahwa

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TAMANNA BAKSHI
TAMANNA BAKSHI
Jan 10, 2024
Rated 5 out of 5 stars.

really touching.. God bless you

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