By Nishant Patil
कुछ बातें है जो तुझसे करनी बाकि है,
थोड़ी और यादें तुम्हारे साथ बनानी है |
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों में क़ैद होने से पहले,
आखों की गहराईयों में डूबते जाना है |
खुले आसमान के निचे अंगड़ाइयां लेने से पहले,
कुछ देर और तुम्हारी बाहों में करवटें बदलनी है |
और वक़्त बस वही थम जाए, तुम्हारी बाहो में,
जहा अधूरी रहे कुछ आखरी बातें|
By Nishant Patil
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