By Prabhneet Singh Ahuja
दिल में सफ़ाई चाहिए
बेवफ़ा से वफ़ाई चाहिए
शोहरतें शदाई चाहिए
दो रोज़ की कमाई चाहिए
ज़्यादा कुछ तो कभी मांगा नहीं।
एक नया सवेरा चाहिए
दो मंज़िला बसेरा चाहिए
रफ़ीक़ से फेरा चाहिए
इख़्तिताम-ए-अंधेरा चाहिए
ज़्यादा कुछ तो कभी मांगा नहीं।
वीरान राहों में सराब चाहिए
ढलती शामों में आफ़ताब चाहिए
फ़कीरी में रुआब चाहिए
महफ़िलों में बेपनाह शराब चाहिए
बस इतना ही काफ़ी है,
ज़्यादा कुछ तो मांगा नहीं।
By Prabhneet Singh Ahuja
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