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आत्महत्या एक दुविधा

By Swayamprabha Rajpoot

फिज़ूल ही उसके दिल में ये ख्याल आया तो नहीं होगा...

ये भी मुश्किल है कि किस्मत को उसने आजमाया ही नहीं होगा...

कोई पराया अपना बनकर फिर से पराया हुआ होगा शायद... 

या अपनों ने उसको अपनाया नहीं होगा...

तकलीफ बताई होंगी उसने किसी को तो अपनी...

शायद सिर उसका किसी ने सहलाया नहीं होगा...

मुमकिन है कि उसकी परेशानी लगी हो छोटी किसी को,

पर बेवजह तो उसने दिल का हाल बताया नहीं होगा...

लिखा है उसने आखिरी शब्दों में कि हार गया वो...

मर कर भी तो वो जीत पाया नहीं होगा...

रिपोर्ट में आया है कि आत्महत्या कारण है मरने का...

शौक से उसने मौत को अपनाया तो नही होगा...

लोग झूठ कहते हैँ कि कायर होते हैँ वो जो मार लेते हैँ खुदको...

बिना हिम्मत के उसने मौत को गले लगाया तो नहीँ होगा...

और लोग कह रहे हैँ मर गया हारा बेचारा आज...

कई दफा कई रातें कई बार मर चुका था शायद वो...

समाज, परम्पराएं, जिम्मेदारियां या प्रतिस्पर्धा कौन कातिल है उसने ये तक बताया नही होगा...

वो दुनिया माँ बाप के क़दमों में बिछाने के सपने देखने वाला टूटा होगा किस कदर सोचो...

यूँ बाप के कंधे पर वरना वो शमशान आया नही होता…


By Swayamprabha Rajpoot


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