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आयरल वायरल

Updated: Jan 18




By Nandlal Kumar


जिस तरह से सोशल मीडिया पर कोई समाचार या वीडियो वायरल हो जाता है उसी तरह से कुछ नेतागण, राजनीतिक दलों के प्रवक्ता, और कुछ पत्रकार भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं। ये लोग रोज़ सोशल मीडिया पर दो-चार विवादास्पद बातें अपलोड कर देते हैं। और, फिर शुरू हो जाती है एक न थमने वाली बहस और लाइक और डिसलाइक की फुलझड़ियाँ। किसी के एक दो वाक्यों में इतनी शक्ति हो सकती है कि लोग उसके पीछे दौड़ पड़ें। किन्तु रोज ही किसी के एक दो वाक्यों में इतनी ताकत मेरी समझ से परे है। ऐसे लोगों के पीछे भागने वालों में कुछ लोग तो ऐसे हैं जो उनके पीछे केवल इस लिए भाग रहे हैं कि वो लोगों को बता सकें कि वे किस नामी-गिरामी व्यक्ति के फॉलोअर हैं। कुछ कमेंट बॉक्स में कुछ लिखकर अपनी खुजली मिटा लेते हैं। कुछ किशोर परीक्षाओं में काबलियत नहीं दिखा पाते हैं मगर यहाँ पर महारत हासिल कर लेते हैं। और, जिनके पीछे भागा जा रहा है उनमें से ज्यादातर उन्हें मिलने वाले लाइक को अपना जनाधार समझ बैठते हैं। भारत में सोशल मीडिया पर जनाधार तैयार होना मेरी समझ से दूर की कौड़ी है। तो फिर लाइक है क्या? सभी के अपने-अपने विचार हो सकते हैं। मेरे हिसाब से लाइक एक अभिवादन है या यह संकेत कि लाइक करनेवाले ने किसी के अपलोड को देख लिया है। यद्यपि मैं यह मानता हूँ कि किसी दिन सोशल मीडिया का संकलन किताब भी बन सकता है। किंतु यह कुछ गिने-चुने मामलों में ही हो सकता है आज तो सोशल मीडिया पर कोई भी इंसान जो पढा-लिखा है, वह अपने आपको लेखक साबित कर देना चाहता है।


             आज गलतफहमियों के किस्से इतने दिलचस्प हैं कि

             हर ईंट सोचता है कि इमारत उसी पर टिकी है।


(शे’र मेरा नहीं है).....सोशल मीडिया पर कुछ कवयित्रियाँ ऐसी हैं जिन्हें रोज ही अपनी तस्वीर अपलोड करने की बीमारी है। कुछ कवि  ऐसे हैं जो कम लाइक मिलने के कारण रोमांस की सीमाओं को लांघकर अश्लीलता में प्रवेश कर चुके हैं। उन्हें लगता है कि आज के पाठक ऐसा ही चाहते हैं और चूँकि पत्रिकाओं में छपने का जमाना ओझल होता जा रहा है इसलिए वे अपने-आपको जल्द से जल्द बदल लेना चाहते हैं और सोशल मीडिया पर अपनी पकड़ बना लेना चाहते हैं। सोशल मीडिया का वातावरण इतना उन्मुक्त है कि अच्छे-अच्छे लोग भी गालियाँ पोस्ट करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं, जो गलत है। मेरी समझ से ट्विटर, फेसबुक आदि को विचारों के आदान-प्रदान का (इसके अंतर्गत साहित्य भी आ जाता है), विचार-विर्मश का, स्वस्थ्य मंच रहने दिया जाय। साथ ही यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि जब आज का कोई भी व्यक्ति राजनीति से अछूता नहीं है तो सोशल मीडिया कैसे हो सकता है? लेकिन भारत की सारी वयस्क आबादी को राजनीति की कुछ न कुछ समझ अवश्य है जो ट्विटर, फेसबुक आदि पर कुछ न कुछ पोस्ट करने के लिए काफी है। और, आनेवाले दिनों में ये राजनीतिक अखाड़े बन जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं।


By Nandlal Kumar





 
 
 

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8 Comments

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Gameger
Gameger
Jan 17
Rated 5 out of 5 stars.

👏🏻

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Rated 5 out of 5 stars.

Excellent writting skill sir

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Rated 5 out of 5 stars.

Wah, kya khoobsurat rachna hai!

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Rated 5 out of 5 stars.

Awesome

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Trisha
Trisha
Jan 16
Rated 5 out of 5 stars.

Ek alag nazariya.

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