By Payal K Suman
तुझ तक पहुंचने में नाकाम हूं मैं
मेरे चांद तेरी रोशनी से अनजान हूं मैं
कल तक जिस बात पर गर्व था मुझे
आज उसी बात से परेशान हूं मैं
देखो तो है सब कुछ मेरा
फिर भी सबसे दरकिनार हूं मैं
पता नहीं क्यों अंतहीन,असीमित
खाली पड़ा खलिहान हूं मैं
अपने आकार, रंग-रूप से
खुद ही तो अनजान हूं मैं
दूर हैं मुझसे नभ और तारे
समझो तुम शमशान हूं मैं
अकेलेपन की पूर्ण व्याख्या,
या कहो सारांश हूं मैं
छूना चाहे जिसको दुनिया,
हां वही आसमान हूं मैं।
By Payal K Suman
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