top of page

आख़िरी ख्वाइश…!!!

By Komal Khare

उसकी रातों की नींद उसके सुबह के ख्वाब उसकी दुनिया, उसका पूरा परिवार बन ने की, के एक ख्वाहिश थी कभी उसकी ख्वाहिश बनने की..! उसके सपने उसकी जरूरतें उसकी पसंद- ना पसंद बन ने की, के एक ख्वाहिश थी कभी उसकी ख्वाहिश बनने की..!

ख्वाहिशें भी कहाँ सब पूरी होती है सच्ची प्रेम कहानियां ही अधूरी होती है के बिखर के एक-एक ख्वाब मेरी आँखों से कतरा कतरा बह निकला किसी और को कहें भी क्या जब नसीब ही बेवफा निकला..!


By Komal Khare



3 views0 comments

Recent Posts

See All

बालकनी में चर्चा गर्म है

By Nandlal Kumar इस कविता को लिखने की प्रेरणा मुझे इतिहास की उस घटना से मिली है जब फ्रांस की राज्य क्रान्ति के समय महारानी अपने किले के...

Wily Youth

By Agrima Arya Remorsing my past has always been grueling, Still for you I bellicose my brain, Never knowing why I was courageous, Never...

The Empty Cradle

By Agrima Arya A strong gush of breeze blew by Something felt facade bout it Stomach wretched yet no pain Tears fell while lamps lit ...

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page