By Komal Khare
उसकी रातों की नींद
उसके सुबह के ख्वाब
उसकी दुनिया, उसका पूरा परिवार बन ने की,
के एक ख्वाहिश थी कभी
उसकी ख्वाहिश बनने की..!
उसके सपने उसकी जरूरतें
उसकी पसंद- ना पसंद बन ने की,
के एक ख्वाहिश थी कभी
उसकी ख्वाहिश बनने की..!
ख्वाहिशें भी कहाँ सब पूरी होती है सच्ची प्रेम कहानियां ही अधूरी होती है के बिखर के एक-एक ख्वाब मेरी आँखों से कतरा कतरा बह निकला किसी और को कहें भी क्या जब नसीब ही बेवफा निकला..!
By Komal Khare
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