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इधर-उधर की ये चार बातें

By Murtaza Ansari


इधर-उधर की ये चार बातें 

इधर है फूल और उधर है कांटे 

इधर पे सांप और उधर सपेरा 

इधर पर रात और उधर सवेरा 


इधर-उधर में है फर्क इतना 

इधर तो गम है उधर है खुशियां 

इधर कलम है उधर सियाही 

इधर फकीरी उधर बादशाही 


इधर से उधर की नज़र मिली तो 

इधर-उधर कई लोग टूटे 

इधर को उधर की नज़र लगी जो 

उधर तो नहीं इधर वाले टूटे 


इधर की वफाई उधर नहीं है 

उधर की जुदाई इधर नहीं है 

क्या कहा? 

इधर है हलचल उधर नहीं है 

यकीन रखो उधर भी हलचल तुम्हें दिखे तो 

इधर-उधर में फर्क नहीं है


By Murtaza Ansari

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