By Tanya Singh
नायाब है वो,
ख़ुशनसीब हूँ मैं
नूर है वो,
उसे रोशन हूँ मैं
वो लिखे हुए हसीन वादे हैं,
उसकी वो कागज़ हूँ मैं
ईद है वो,
रमजान हूँ मैं
इबादतों का तोहफ़ा है वो,
इबादतों में जुड़ी वो हाथ हूँ मैं
वो सबर है,
उसे रखने वाली काफ़िर हूँ मैं
जनाब,
उसकी वो एकमात्र हक़दार हूँ मैं
By Tanya Singh
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