By Anjaanehssas
उसका चेहरा जैसे चांद उतर आया हो,
उसकी आँखे जैसे तारे चमक रहे हो,
उसकी मुस्कान जैसे कायनात झूमती हो,
उसकी जुल्फे जैसे चंदन पर लिपटे नाग हो,
उसकी अदायें जैसे कर्ण के बान से निकले तीर हो,
उसका गुसा जेसे समुंदर मै भूचाल आया हो,
उसका पलके उठाना जैसे समुंदर में से निकला अफताब(सूरज)हो,
उसकी मासूमीयत जैसे जलपरीयो की नराज़गी हो,
उसकी आवाज़ जैसे देव गंधर्व वेद से गा रहा हो,
उसका मन जैसे हिमालय का निर्मल पानी हो,
उसका छुहना जेसे नई जिंदगी पा लेना हो,
उसकी उँगलियाँ जैसे कमल की कली खिली हो,
उसका चलना जैसे समुन्द्र से चली होई फिज़ा हो,
उसका नाचना जैसे मोरनी बारिश में झूमती हो,
उसका जिसम जैसे सरी अप्सराओं को मिलाकर बना हो,
By Anjaanehssas
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