By Gayatri M P
शुभ्र जल में देखा आकाश ने प्रतिबिंब अपना,
सोचने लगा,"अरे वाह! यह तो है नहीं एक सपना!"
साथ में तैरते हुए श्वेत बादल,
बदलते रहते थे अपने रूप पल पल!
तालाब तो था किसी की में प्रतीक्षा,
बातचीत के लिए तरस रहा था क्षण क्षण,
पूछा उसने कुतूहलता से कि," क्या है , मेघ, संदेश,
घूमते रहते हो देश विदेश! "
कहा बादल ने-
" मनुष्य के हस्तक्षेप का नामोनिशान तक नहीं है जहां, वहां है परिस्थिति सर्वोत्तम,
उसके हस्तक्षेप का असर है बहुत कम जहां,
वहां का हाल है उत्तम, जहां दिखता है बुद्धिहीन बर्ताव हरदम, वहां घुटता है सबका दम, व्याकुल होता है मन कि ,क्या करने वाले हैं पृथ्वी के जन, प्रगति और आधुनिकीकरण के नाम पर स्वार्थ सिद्धि में लगा है मनुकुल , तोडा जा रहा है संबंध के पुल , छत्रक जैसे उगने लगे हैं भस्मासुर के संतति, शोचनीय बन सकता है हमारी भी परिस्थिति।" सुज्ञान - सिद्धि और आत्म शुद्धि प्राप्ति के लिए आया है अवसर, प्रकृति के साथ जीने का पाठ सीखना है हर स्तर।
By Gayatri M P
Explained we'll !
Such a meaningful poet !! ❤️❤️
Very nice
Nice
Atti uttam