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एक पुराना आंगन एक पुराना पेड़

By Rovel

एक भले इंसान ने बड़े शौक से एक घर बनाया

उसके तामीर होने में अपना खून पसीना धन लगाया ,

बच्चों के खेलने वास्ते एक बड़ा आंगन बनाया

अपनी अर्धांगिनी को एक उमंग भरे उज्ज्वल भविष्य का स्वपन दिखाया ।


जीवन भर की जो भी जमा पूंजी थी आधी से बेटी ब्याही

आधे बेटों की पढ़ाई में परस्पर हो गए,

शुक्र था उस इंसान की ईमानदारी का के अब उसके दोनो बेटे अफसर हो गए ,

वो इंसान बड़ा खुश हुआ ,

कहता के अब जिंदगी आबाद ही कर ली ,

वक्त बदला उम्र गुजरी

अब दोनो बेटों ने भी शादी कर ली ,

फिर समय आया कुछ ऐसा

बाप बेबस होगया उन्हें रोकते रोकते ,

भाइयों ने एक न सुनी संपत्ति

आपस में आधी कर ली ,


मां का बेचैनी से दिल फटा रहा ,

बाप का मानो सपना उजड़ गया


By Rovel

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