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एक भारतीय नागरिक की कलम से

By Sahir Ahmad


तुम राम लिखो, रेहमान लिखो, अल्लाह लिखो, भगवान लिखो

मै अंबेडकर और कलाम लिखूंगा,

कभी भगत सिंह, तो कभी गाँधी, और कभी आज़ाद लिखूंगा।


इस धर्म की लड़ाई में एक भी खरोच अगर मुझपे आया,

मै अपने आप को सबसे बदनसीब इंसान लिखूंगा ।।


फिर पूछूंगा खुद से की इन ज़ाहिलो की लड़ाई में मै भी शामिल हु क्या?

और अगर जवाब हां में आया मै अपना कतल सरेआम करूँगा।।


नहीं करना है रक्षा तुमको मुस्लमान को हिन्दू से या फिर हिन्दू को मुस्लमान से

तुम बस अपना घर बचा लो, ये गंदे राजनेता और धर्म के ठेकेदार से।।


तुम हरे को अपनी शान लिखो और तुम भगवे का गुण-गान लिखो

सास चलेगी जब तक मै तिरंगे को अपनी शान लिखूंगा।।


तुम राम लिखो, रेहमान लिखो, अल्लाह लिखो, भगवान लिखो

मै अंबेडकर और कलाम लिखूंगा,

कभी भगत सिंह, तो कभी गाँधी, और कभी आज़ाद लिखूंगा।


By Sahir Ahmad


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