By Kratika Agrawal
एक वक्त था
जब हम जिंदा थे
हा जी हां हम जिंदा थे।
तब दर्द भी होता था
आंसू भी बहते थे
हंसी भी कभी-कभी
फूंट पड़ती थीं।
आज मेहरा चेहरा नहीं जानता
उसकी असली हंसी क्या हैं
आज बस झूठ का मुखोटा
जिंदगी में लिए चल रहे हैं
आज हम बिना जसबात के
सांसेंलिएचलरहेहैं।
By Kratika Agrawal
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