By Ajay Yadav
मैं एक बूढ़ा वृक्ष हूं,
बहती तेज़ हवाओं से,
जब मेरी टहनियां टूट कर गिरती हैं,
तब मैं खुश होता हूं।
मैं इंतजार कर रहा हूं,
एक-एक करके इन टहनियों के झर जाने का।
मैं निराश हूं बस इस बात से,
कि जब ये तेज़ हवा मेरे ना होने का कारण बनेगी,
तब मैं अपनी खुशी किसी से जाहिर नहीं कर पाऊंगा।
जब लोग आएंगे मेरी हालत पर अपनी संवेदना जाहिर करने,
काश! तब मैं उनके समक्ष खड़ा हो यह कह पाता,
“मैं खुश हूं, अब मैं एक चलता-फिरता वृक्ष हूं।“
By Ajay Yadav
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