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एक ख़त....खुद के नाम|

Updated: Nov 21, 2022

By Manushree Mishra


९/०३/२१

नादान मनवा,


कल जबलपुर-नैनपुर-गोंदिया ब्रॉड गेज का उद्घाटन हुआ।


परसों नानी के घर किसी काम से गई थी। नानाजी ने इसके बारे में बताते हुए साथ चलने को पूछा था।

नानी उन्हें डांटने लगीं। (नाना जी के स्वास्थ की फ़िक्र करते हुए)

"क्या करोगे जाकर ? ट्रैन देखने कौन जाता है? जाना ही है तो ट्रैन में बैठकर नैनपुर हो आओ......."

नाना जी -" अरे मेरे जन्मस्थान जा रही है ट्रैन, पहले नैरो गेज था। अब ब्रॉड हो गया है , मुझे बहुत खुशी हो रही है।"


मुझे उनकी खुशी कुछ समझ नहीं आई। लगा नाना जी को घूमना पसंद है। इसलिए बहाने ढूंढ रहे हैं।

अपने सरकारी कागजों को उठाकर घर आ गई।


अगले दिन, अनु के साथ डेंटल कॉलेज गई। दांत ठीक हैं इस खुशी से वापिस लौटी।

दूरदर्शन में वही सरकारी कागज़ दिए जिसको नानी के घर ट्रैन की चर्चा सुनते हुए ऑर्डर में जमा रही थी।

भास्कर को अपना इलेक्ट्रोल दिया। और घर आकर लस्त पड़कर सो गई।





नाना जी आज सुबह आए।

बेहद खुश।

नाना जी- "कल मैंने किरायदार से पूछा चलने के लिए, उसने कहा जी बताता हूँ, फिर 3 बजे आवाज़ लगाई तो उसकी बेटी बोली पापा पूजा कर रहे हैं, मैं समझ गया, मैंने गाड़ी उठाई, और चला गया।"


नातिन- 'आप अकेले गए'?


नानाजी- "हाँ बेटा, मैंने हिम्मत की और बढ़िया बयालीस साल की उम्र में गाड़ी चलाकर गया प्लेटफार्म नम्बर 6..हज़ारों गुब्बारे लगे थे, फूल माला और बहुत सजावट थी। बहुत भीड़ थी बेटा। 2-3 घण्टे बैठा रहा। ट्रैन को अपने जन्मस्थान जाते देखा। मेरे माता-पिता के स्थान।"


नानाजी की इस बात ने मुझे पूरी तरह झकझोर दिया है। मृत्यु-निद्रा से जगा दिया।

यहां क्या विस्मयादिबोधक लिखूं!

मुझे उनके प्रेम ने, इंतज़ार ने रुला दिया।


अपने जन्मस्थान जाने वाली ट्रैन को देखने के लिए वह 3 घण्टे स्टेशन में बैठे रहे। अपने माता -पिता के स्थान जाने वाली ट्रेन के लिए वह 3 घण्टे बैठे रहे।

कोई साथ जाने वाला नहीं था वह तब भी गए। धूप, धूल, धक्का यह सब उनकी चुनौतियों में थे ही नहीं।


वह प्लेटफार्म पर बैठे रहे , वह प्लेटफार्म पर अपने गांव जाने वाली ट्रेन को देखने के लिए बैठे रहे।


या अल्लाह।

3 सेकंड का इंतज़ार यंहा होता नहीं!

मुझे ख़ुदपर बहुत गुस्सा आया। मुझे साथ जाना था। कैसे मेरे ज़हन से निकल गया।

न पूजा-पाठ, न कागज़, न ही इस तरह की और चीजें मेरे भीतर को बचा पाएंगी।


प्लेटफार्म पर इंतज़ार में बैठे मेरे नानाजी से सीखना होगा मुझे- इंतज़ार । ठहराव। और प्रेम।


मूर्ख नातिन, मनवा।


By Manushree Mishra





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7 Comments

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Jagdish Tripathi
Jagdish Tripathi
Nov 24, 2022

विश्व में कहीं भी चले जाएं, अपना जन्म स्थान हृदय के सबसे करीब होता है....बहुत ही सुंदर लेख है


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Kya gazab likha hai

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Himanshu Yadav
Himanshu Yadav
Nov 23, 2022

प्यारे नानाजी और उनकी नटखट मनु 💚

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Manushree Mishra
Manushree Mishra
Nov 23, 2022

नानाजी की उम्र बयासी(82)* साल है।


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Jyoti Mishra
Jyoti Mishra
Nov 23, 2022

Heart touching write-up 👌

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