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ऐ ज़िंदगी

By Vinky Kundnani


आज कल गुम सुम सी है, तुझे मनाने आई हूँ

रुथी है मुझसे तु, तुझे बहलाने आई हूँ।


माना की कभी धुप कभी छाव

यह दो है पतवार और ज़िंदगी एक नाव।


पर जैसे नदी नही छोड़ती बेहना जब आए ठहराव

तेरी नाव कैसे रुक जाए जब है पथराव।



राह चाहे कठिन हो या आसान

ना रुकूँगी मैं चाहे फ़ायदा हो या नुकसान।


ऐ ज़िंदगी करना उस दिन का इंतज़ार

लडूंगी शान से, चाहे ना हो हथियार।


चिंता नही है, ना हो चाहे जीत

हारने के बाद भी, ऐ ज़िंदगी, करुँगी तुझसे प्रीत ।


By Vinky Kundnani



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36件のコメント

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Rishika Banjan
Rishika Banjan
2023年6月30日
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❤️❤️

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Vikram Kumar
Vikram Kumar
2023年6月30日
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Good read

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yashila gujaran
yashila gujaran
2023年6月29日
5つ星のうち5と評価されています。

Loved it 😃

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Nagesh Salian
Nagesh Salian
2023年6月27日
5つ星のうち5と評価されています。

Amazing!

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Samrat Dhar
Samrat Dhar
2023年6月14日
5つ星のうち5と評価されています。

Nice ✌🏼

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