By Neeta Agarwal Doshi
चमकीले मोती स्वरूप अल्पकालिक मेरी हस्ती,
बस इतनी सी ही है मेरे जीवन काल की बस्ती।
निडर जब पात की ढलान पर टिकती हूँ मैं,
तभी रवि किरणों से प्रज्वलित हो पाती हूँ मैं ।
आयुष्य की लघुता मेरे उत्साह पर है बेअसर,
इस इक क्षण में भी बिखरा देती हूँ सौम्यता चहुँओर!
संचय कर ना सकेगा कोई मुझे, मैं हूँ इक क्षणिक अमतृ कण,
पर ये ना समझना कि मैं हूँ सिर्फ़ इक बूँद,
मैं हूँ आशा की पूरी किरण!
By Neeta Agarwal Doshi
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