By Achal Jain
कॉलेज के यह चार साल भी एक पेड़ की तरह होती है,
इन चार सालो में , हम इस पेड़ को पढ़ाई, दोस्ती और प्यार सींचते है,
और फिर एक पतझड़ का मौसम आता है, जब यह चार साल पुरे हो जाते है,
और हम एक - वक पत्ते की तरह बिखर कर दूर हो जाते है।
फिर एक इंतज़ार सा ही रहता है, की ना जाने कब एक मस्ती भरी आंधी आएगी,
और हमें अपने संग उड़ाकर एक साथ लाएगी।
मन में एक ही सवाल बार - बार कौंध उठता है,
की हम फिर अब कब मिलेंगे,
जो अभी तक जैसे खिला करते थे,
वो हंसी के फूल फिर ना जाने अब कब खिलेंगे।
मिलते रहने और टच में रहने के वादे होते है ,
पर सच कहूं,
इनमे सच्चे तो आधे ही होते है।
कुछ आरज़ू है , जो यहाँ अधोरी रह जाएंगी,
कुछ यादें है, जो दूर तलक साथ निभाएंगी,
कुछ चेहरे है, जो बस दिल में बस के रह जाएंगे,
शायद जिन्हे, फिर हियँ कभी ना मिल पाएंगे,
कुछ यारों को साथ मुझे हमेशा होगा,
कुछ दिल पर राज मेरा हमेशा होगा।
दुआ है यही तुम सबके के लिए ,
की तुम खूब तरक्की पाओ,
पर दिल बस इसी बात से डरता है,
की तुम मुझे ना भूल जाओ ।
चाहे अपनी बात ना हो , बस तुम मुझे अपनी यादों में याद रखना,
चाहे गम हो या ख़ुशी, अपनी हर बात में याद रखना।।
By Achal Jain
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