By Pankaj Pahwa
लिखना उसे आसान है, कहना बहुत सरल,
लफ्जों से बयां करने चला हूं, मैं कितना कम अकल,
नाजों से पाला करती वो, लगने ना दे हवा, छू
भर लिया जो मां ने तो है, हर मर्ज की दवा,
ये तो पूछे सब जगत की, लेते हो क्या कमा,
रोटी खाई या नहीं, ये पूछे सिर्फ मां,
रातें काटे जाग के वो, करती है इंतज़ार ,
कितना भी तुम लेट से आओ, खोले वही है द्वार,
कोई पूछे मुझसे गर की, है नर्क क्या बता,
जीना उसका नर्क है, जिसे मां का नहीं पता.
लिखना उसे आसान है, कहना बहुत सरल,
लफ्जों से बयां करने चला हूं, मैं कितना कम अकल,
मैं कितना कम अकल...
By Pankaj Pahwa
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