कब तक?
- hashtagkalakar
- Jan 11
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Updated: Jan 17
By Sachin Harkhani (Sahaj)
एक ही सख्स, एक ही ख्याल
एक ही ख्वाइस, कब तक?
फटाके, पतंगे, दिए और गुलाल
इन त्योहारों का मलाल कबतक?
तस्वीर, शराब, सोच और ग़ज़ल
ऐसी ही महफिलें हमारी कब तक?
बंद दरवाज़े, बंद खिड़की और तन्हाई
आंखोसे ये बरसात कब तक?
एक किनारा, एक सड़क, एक सहर
उशी में मेहदुद हम कब तक?
खफाएँ, ख़ताएँ ना जाने कितनी जफ़ाएँ
फिर भी तुम इतने सहज कब तक?
By Sachin Harkhani (Sahaj)
Superb
Wow.. Really amazing lines
Wonderful....
Wonderful Line 👌🏻
Stunning✨💫