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कलयुग

Updated: Feb 23, 2024

By Parul Rajput


सच कहा था श्रीराम ने सिया से

ऐसा कलयुग आया है;

हंस ने चुग लिया दाना तुन का

कौए ने मोती खाया है |


लोक-लाज की फ़िक्र छोड़

हर तरफ़ पाप छाया है;

सच-झूठ की पहचान भूल

इंसान, फरेब के वश में आया है |



बुराई सुनकर अपनी

बड़े-बड़े आँसू बहाता है

जो खुद औरों में बैठ,सबको

बुरा बताता है |


माटी का पुतला, हाय!

यह कैसी धौंस जमाता है;

अपनी धुनी रमाता हर वक्त

खुद को भगवान बताता है |


By Parul Rajput



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