By Parul Rajput
सच कहा था श्रीराम ने सिया से
ऐसा कलयुग आया है;
हंस ने चुग लिया दाना तुन का
कौए ने मोती खाया है |
लोक-लाज की फ़िक्र छोड़
हर तरफ़ पाप छाया है;
सच-झूठ की पहचान भूल
इंसान, फरेब के वश में आया है |
बुराई सुनकर अपनी
बड़े-बड़े आँसू बहाता है
जो खुद औरों में बैठ,सबको
बुरा बताता है |
माटी का पुतला, हाय!
यह कैसी धौंस जमाता है;
अपनी धुनी रमाता हर वक्त
खुद को भगवान बताता है |
By Parul Rajput
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