Mar 1, 20231 min readकिस्सेRated 0 out of 5 stars.No ratings yetBy Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)महफिलों में हमारे किस्से सुनाने बैठा हूंकागज़ों पर अपने हिस्से गवाने बैठा हूंहमे अपनाना शायद गवारा नहीं तुमकोमैं सिर्फ़ तुम्हारे ज़मीर को मानने बैठा हूं ।By Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)
By Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)महफिलों में हमारे किस्से सुनाने बैठा हूंकागज़ों पर अपने हिस्से गवाने बैठा हूंहमे अपनाना शायद गवारा नहीं तुमकोमैं सिर्फ़ तुम्हारे ज़मीर को मानने बैठा हूं ।By Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)
Shayari-3By Vaishali Bhadauriya वो हमसे कहते थे आपके बिना हम रह नहीं सकते और आज उन्हें हमारे साथ सांस लेने में भी तकलीफ़ होती...
Shayari-2By Vaishali Bhadauriya उनके बिन रोते भी हैं खुदा मेरी हर दुआ में उनके कुछ सजदे भी हैं वो तो चले गए हमें हमारे हाल पर छोड़ कर पर आज भी...
Shayari-1By Vaishali Bhadauriya इतना रंग तो कुदरत भी नहीं बदलता जितनी उसने अपनी फितरत बदल दी है भले ही वो बेवफा निकला हो पर उसने मेरी किस्मत बदल...
Comments