By Tanuja Joshi
दुनिया लॉक है पर डाउन नहीं है
आओ देखें इस लॉकडाउन में कैसा अच्छा देखा, आओ देखें
देश विदेश का हाल यहाँ बेजान देखा,
बंद दरवाजे बाहर जहाँ वीरान देखा,
पर इस बदहाली में भी कुछ ऐसा देखा,
पहले जो कभी ना हुआ कुछ वैसा देखा |
देश सँभालने सबका अनुनय विनय देखा,
हौसला जगाने सुर संगीत सुरमय देखा,
फिर से दूरदर्शन को परिवार जुटाते देखा,
दादा दादी को भी प्यार लुटाते देखा |
गांव की धरा पर शहरों को फ़िदा देखा,
दीन निर्बलों में मानवता को जिन्दा देखा,
संतोषम परम सुखम सबको समझते देखा,
भव विलास की भी औकात उतरते देखा |
चंदा को तारों संग झिलमिलाते देखा,
काली घटा को नील गगन सजाते देखा,
गंगा यमुना को दर्पण सा लहराते देखा,
प्रकृति को भी मोहक छटा छिटकाते देखा |
महानगरों को शुद्ध हवा संग जीते देखा,
कूक गुंजाती कोयल को रस पीते देखा,
छुपे रुस्तमों को भी उभर निखरते देखा|
बंद घरों में चिंतन की खिड़की खुलते देखा,
ऑफ़लाइन को ऑनलाइन जुड़ते देखा,
सेहत का योगा से जोड़ जुड़ाते देखा,
पतझड़ में भी सूरजमुखी उगाते देखा |
पर अफ़सोस यहाँ पर कुछ पत्थर दिल भी देखे,
अक्ल पर पत्थर पड़ो की फ़ितरतें भी देखीं,
इस जंग से लड़ते बचाने आयों को देख,
इंसानियत पर पत्थर बरसाते भी देखा |
सबसे अलग पॉजिटिव में घबराहट और टेस्ट में निगेटिव पाकर सुकून मिलते देखा |
By Tanuja Joshi
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