By Kartikeya Kashiv
वो नदी, वो झील या वो शहर पहाड़ों का..
तुझे कुछ तो याद होगा!
वो सपना मुझ अकेले का था ही कब..
कभी तो नींद मे मेरे साथ उसे तूने भी देखा होगा...
तेरा बच्चों सा सीने में छुप जाना मेरे या रूठ जाना किसी को एक नज़र देखने पर भी...
धुँधला सा ही सही तुझे कुछ तो याद होगा!
कुछ हो ना हो वॊ गुलाबी शहर तो जरूर याद होगा..
या नदी से कटता वो किनारा जहां खुद को खो दिया तेरी खुशबु मे मैंने...
मैं तो अब भी उसी नदी उसी झील उसी पहाड़ के आगे खड़ा हूँ..
नजाने कैसी बेहूदी सी ज़िद पर अड़ा हू..
मेरे जितना ना सही पर गुजारे लायक तो होगा
तुझे कुछ तो याद होगा!!
By Kartikeya Kashiv
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