By Akansha Gendre
क्या इशारों में बातें करें हम,
ये आँखों से आँखें चुराना,
कब तक सहे हम?
आप यहीं है, हम भी यहीं है,
पर बातें ज़ुबां पर आकर ठहर गयी है,
क्या करें इन बातों का हम?
वक़्त गुज़र रहा है,
तुम्हारी यादों में दिल रो रहा है,
वो यादें, वो वादें, का क्या करे हम?
एक बार पास तो आओ,
एक बार दिल का इज़हार तो करो,
जो कहा, जो सुना, जो हुआ, सब भुला देंगे हम।
जहाँ हो तुम्हारी यादें, उस घर में कैसे रहे हम?
महफिलों में बैठते तो है दोस्तों के संग,
पर तुम्हारी कमी तो महसूस होती है हरदम।
By Akansha Gendre
Comments