By Kamakshi Aggarwal
कोरोना के कारण इतना पड़ेगा रोना, कभी सोचा न था।
खरीदे हुए सामान को बाहर,
बारह घंटे पड़ेगा छोड़ना,
कभी सोचा न था ।
इक्कीस दिन लॉकडाउन में होना,
कभी सोचा न था।
दुनिया में मौत का कहर होना,
कभी सोचा न था।
धर्मांधों के कारण,
सरकार की बेबसी दिखाना,
कभी सोचा न था।
अपनों से ही दूर हो जाना,
कभी सोचा न था।
चार दीवारी में जीवन का सिमट जाना,
कभी सोचा न था।
कोरोना के कारण इतना पड़गा रोना, कभी सोचा न था।
By Kamakshi Aggarwal
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