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ग़ुसलख़ाना

Updated: Apr 10, 2024

By Bushra Benazir क्या कहूँ ये हक़ीक़त है औरत का असली घर घर का ग़ुसलख़ाना है ग़ुसलख़ाना का हर वो कोना और दीवार जिससे टेक लगाकर औरत ने आंसू बहाये अपनी हीच्कियों अपनी सुबकियों को नल के नीचे बहाये दिमाग़ की नसें फटकर चीथङे चीथङे हो जाती हैं जब दर्द ग़ुस्लख़ाने में नहाये

आखों के दीदे लाल अंगारे हो जाते हैं बहते अश्क़ जब घुलघुल कर ग़ुस्लख़ाने की मोरी से बाहर हो जाते हैं ग़ुस्लख़ाने में रखे साबुन,शैम्पू,टिशु पेपर कोल-गेट,ब्रश,वाइपर औरत के दर्द के भागीदार सारे काश ये सारी चीज़ें बोल पाती बन पाती गवाह औरत के दर्द की तो शायद औरत अपना हर केस जीत पाती


By Bushra Benazir



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