By Anushka Tyagi
देर इतना भी हम कभी मिल ना सके
गीत में तुमसे मिलना हुआ तो सही
प्रेम होता है क्या, ये नही जानते
भाव ने मेरे मन को छुआ तो सही
कोई झौंका हवा का जो गुज़रा उधर
देह पत्ती की भाँति ये बिछने लगी
ऐसे बरखा की बूंदे भी छू जाए तो
मन की कलियाँ यों एक-एक सींचने लगी
मेरे घर की गली में वो आ ना सके,
कण्ठ से ये गुज़रना हुआ तो सही।
देर इतना भी हम…………..
था बादल का टुकड़ा खुशी कैद में
आँख उसकी हुई नम, रिहा हो गया
आँसू ज्यादा हँसी का ही एक रूप बस
ऐसे हंगामा क्यों?, जैसे क्या हो गया
ऐसे रोना ज़माने को ख़लता बहुत
वैसे ये बद, किसी का, हुआ ही नही
देर इतना भी हम………………………..
चाँद धुंधला कभी देखा था एक बार
नज़रें नीची तभी से झुकाने लगे
जाते थे देखने छत तलक हम उसे
पलकों से आसमाँ सर उठाने लगे
ये मुसाफ़िर जो बच-बच के था जा रहा
इसका चलना उज़ागर हुआ तो सही।
देर इतना भी हम………
By Anushka Tyagi
Comments