By Kapinjal Vishwakarma
किसी शाम मिल मुझे उसे चौराहे पर ,
जहां अक्सर मिला करती थी ।
कुछ बातें मैं बोला करता था ,
कुछ तू सुन लिया करती थी ।
तू डरती थी उसे सब्जी वाले से ,
जहां से तेरी मां भाजी लिया करती थी ।
अरे यूं ही बिता देती थी ,
तू डरते-डरते पूरी शाम ।
जब तु मुझसे चौराहे पर मिला करती थी ।
लोग पूछते थे मुझसे ,
की क्या बात हुई तुम दोनों में आज ।
मैं बोलता था कि मैं तो उसको निहारता रहा ,
वही डर-डर के कुछ तो बोला करती थी ।
किसी शाम मिल मुझे उसे चौराहे पर ,
जहां तू अक्सर मिला करती थी ।
By Kapinjal Vishwakarma
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