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चौराहे पर ।

Updated: Apr 8, 2024

By Kapinjal Vishwakarma



किसी शाम मिल मुझे उसे चौराहे पर ,

जहां अक्सर मिला करती थी ।

कुछ बातें मैं बोला करता था ,

कुछ तू सुन लिया करती थी ।


तू डरती थी उसे सब्जी वाले से ,

जहां से तेरी मां भाजी लिया करती थी ।

अरे यूं ही बिता देती थी ,

तू डरते-डरते पूरी शाम ।

जब तु मुझसे चौराहे पर मिला करती थी ।



लोग पूछते थे मुझसे ,

की क्या बात हुई तुम दोनों में आज ।

मैं बोलता था कि मैं तो उसको निहारता रहा ,

वही डर-डर के कुछ तो बोला करती थी ।


किसी शाम मिल मुझे उसे चौराहे पर ,

जहां तू अक्सर मिला करती थी ।


By Kapinjal Vishwakarma



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