top of page

चाँदनी आज ज़ेर-ए-नकाब में आइ है ।

Updated: Dec 3, 2022

By Neha Mishra





किसी जालसाज ने ये अफवाह फैलाई है

चाँदनी आज ज़ेर-ए-नकाब में आइ है ।


असरार -ए-खुदी जब सबने खोल दिये

कोई लगा चिल्लाने कि देखो रोशनी छाई है ।


मैं ही मैं मुश्तहिर हूँ बज़्म-ए -जाना में

जिंस-ए-उल्फत बहुत हैं,मुझे खुदा चाहिये ।




करतब देख कर बच्चे अपना गम भूल जाते हैं

इंतहा-ए-इश्क की कहाँ कोई दवाई है ।


खुद ही तंज कसते हैं खुद ही रूठ जाते है

जरूर उसकी खुदा से या खुद से लडाई है ।


By Neha Mishra





9 views0 comments

Recent Posts

See All

Love

By Hemant Kumar जब जब इस मोड़ मुडा हूं मैं हर दफा मोहब्बत में टूट कर के जुड़ा हूं मैं शिक़ायत नहीं है जिसने तोड़ा मुझको टुकड़े-टुकड़े किय...

댓글

별점 5점 중 0점을 주었습니다.
등록된 평점 없음

평점 추가
bottom of page