By Shudhanshu Pandey
ज़ालिम सी इस दुनिया में शराफत हमको ले डूबी,
कोशिश थी ख़ुश रहने की तेरी चाहत हमको ले डूबी।
ना कोई प्यारा लगा तुझसे ना चाहत कोई और बना,
जो गहरा मेरे प्यार की है गर चाहूँ तो तुझे भी कर दूं फ़ना,
पर कहते हैं आज़ादी है प्यार की सबसे बड़ी ख़ुबी,
ज़ालिम सी इस दुनिया में शराफत हमको ले डूबी,
कोशिश थी ख़ुश रहने की तेरी चाहत हमको ले डूबी।
खो जाना तेरी याद में पल पल आदत सा अब बना लिया,
जिस्म की दुरी ख़ूब है पर रूह में तुझको समा लिया,
आग लगाकर मेरे सीने में, लगता है ख़ुश मुझे अब तू भी,
ज़ालिम सी इस दुनिया में शराफत हमको ले डूबी,
कोशिश थी ख़ुश रहने की तेरी चाहत हमको ले डूबी।
मैंने यारी तुझसे चाहा था पर बनना तुझको आशिक था,
मुझे आदत हो जाती है लोगों की तू भी तो इससे वाकिफ था,
लगाके अपना रोग तुम्हारी आदत मुझसे अब छूटी,
ज़ालिम सी इस दुनिया में शराफत हमको ले डूबी,
कोशिश थी ख़ुश रहने की तेरी चाहत हमको ले डूबी।
तेरी हर गुस्ताख़ी माफ़ हुई तूने मेरी कसमों को झुठलाया है,
तेरी ख़ुशी के खातिर मैंने तुझको ही ठुकराया है,
तू भूलना मत तेरे लिए मैंने ज़लिल किया है खुद को भी,
ज़ालिम सी इस दुनिया में शराफत हमको ले डूबी,
कोशिश थी ख़ुश रहने की तेरी चाहत हमको ले डूबी।
By Shudhanshu Pandey
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