By Surendra Kumar Sharma
धर्म और मानवता से,
हमने पहचान बनाई।
सत्य-अहिंसा की हमने ही,
जगमग जोत जलाई।
सारे जग को भाईचारा,
हमने ही सिखलाया।
दिल से दिल तक सेतु बनाकर,
विश्व-बन्धुत्व दिखाया।
गौतम, नानक, महावीर ने,
प्रेम की नदी बहाई।
सत्य-अहिंसा...
कर्मयोग का योगेश्वर ने,
हमको पाठ पढ़ाया।
मर्यादा का मंत्र राम ने,
हम सब को बतलाया।
सब स्वारथ में डूब गये ,
कुछ देता नहीं दिखाई।
सत्य-अहिंसा...
काल खड़ा सब देख रहा है,
युग परिवर्तन होगा।
भोग पड़ेगा वह भोगना,
जो अब तक नहीं भोगा।
युग-युग याद रहेगी हमने,
जो यह रीत चलाई।
सत्य-अहिंसा...
By Surendra Kumar Sharma
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