By Avaneesh Singh Rathore
जिंदगी एक युद्ध है
प्रतिशोध से युक्त है
ज्वाला अहंकार की
हाड़ मांस उपयुक्त है
भभक रही है रात दिन
कण कण सुलग रहे
अहम वहम में जी रहे
जन मन भी दहक रहे
जिंदगी तो चक्रव्यूह
तू बन अब अभिमन्यु
भेद दे सब तू सब चक्र
हुंकार भर और जीत ले
सामने हो ब्रह्मास्त्र
और तू हार गया
तो सोच तू ही दधिच है
तुझसे ही तो बना है अस्त्र
सामने खड़ी भीड़ है
तू अकेला प्रचंड खड़ा
दहाड़ जहां तक वाणी जाए
जीत वहां तक सूरवीर है तू
किस आरंभ की तलाश तूझे
किस ज्ञान का आभास तुझे
तू ही तो कर्म मानस है
तू ही एक सर्व शक्तिमान है
झुंड में हो खड़े सभी
तू अकेला लड़ भिड़े
जहां तेरा रौद्र रूप
काल भी वहां थमे
जिंदगी एक युद्ध है
तू लड़े और तू जीते
सामने तो कमजोर सब
सिर्फ तू सर्व शक्तिमान है
By Avaneesh Singh Rathore
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