top of page

जीवन के रंग, तनावमुक्त व्यक्तित्व के संग

By Neeru Walia


मानव जीवन ईश्वर की अनमोल देन है, सृष्टिकर्ता ने ज़िंदगी को इतना खूबसूरत बनाया है, जिसमें मनुष्य सुख और शांति से जीवन यापन कर सकता है। जीवन एक कला है, जिसमें व्यक्ति जीवन में खुशियों के रंग भर के जीवन के हर दिन को त्योहार बना सकता है, लेकिन आज बदलती जीवन शैली में जीवन के रंग फीके पड़ रहे हैं। संयुक्त परिवार का टूटना, मजबूरी व बेबसी में रोजी-रोटी की तलाश में घर से निकलना, जिंदगी की दौड़ में वक्त से पहले सब कुछ पाने की चाह, मोबाइल में पूरी दुनिया को तलाशना जैसे कारण निराशा और उदासी को जन्म देते हैं, जो नासूर बनकर तनाव से ग्रस्त मानव के सुखी जीवन को दंश मार रहा है। तनाव को परिभाषित नहीं किया जा सकता।

मन की भीतरी स्थिति को न समझना ही तनाव है। बाहरी रूप में अगर देखा जाए, तो तनाव का कोई अस्तित्व नहीं होता। मनुष्य खुद ही यह भ्रम पाल कर बैठ जाता है, जो आगे चलकर उसकी सोचने समझने की शक्ति को भी क्षीण कर देता हैं । मनुष्य को जीवन रूपी जंग स्वयं ही लड़नी होती है, अगर कर्म क्षेत्र में अपने काम को तनाव मान लिया जाए तो यह व्यक्ति विशेष की स्वयं की धारणा हो सकती है। जीवन में प्रत्येक कार्य समयबद्ध है और हमारा अधिकार केवल कर्म करने में ही है तो उसके फल की इच्छा करने की अपेक्षा अपने कर्म परमपिता परमात्मा को समर्पित कर देने चाहिए ,जो सबके जीवन का आधार है, व्यर्थ की चिंता करके तनाव को स्वयं पर हावी नहीं होने देना चाहिए।



जब परिस्थितियों पर स्वयं का नियंत्रण न हो तो कुछ फैसले वक्त पर छोड़ देने चाहिए। दूसरों की चिंता छोड़कर स्वयं को प्रसन्नचित्त रखना चाहिए। आपके चेहरे की आभा स्पष्ट रूप से आपके मन के भावों को व्यक्त करने में सक्षम रहती है कि आप सही अर्थों में जीवन जी रहे हैं । तनाव मुक्त रहने के लिए अपने से निम्न स्तर के लोगों के विषय में जरूर सोचना चाहिए जिन्हें जिंदगी ने उनकी आवश्यकताओं के अनुसार ज़्यादा नहीं दिया, फिर भी वह जिंदगी से शिकायत किए बिना हर पल संतोषजनक जीवन व्यतीत करते हुए हैं। आज देश की 37% आबादी तनावग्रस्त बन चुकी है, जो कि मानव जाति के लिए अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है। आज के भौतिकवादी युग में मनुष्य को वास्तविकता से रूबरू होकर स्वाध्याय के साथ-साथ आध्यात्मिकता के प्रति रुचि उत्पन्न करनी होगी, व्यायाम और योग के माध्यम से अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ही आत्मिक सुख प्राप्त कर सकते हैं और यह जीवन जो कि ईश्वर का बहुमूल्य उपहार है , के प्रति सही अर्थों में आभार व्यक्त कर सकते हैं।


By Neeru Walia






 
 
 

7 Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
Vikash K
Vikash K
Sep 24, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

nice

Like

Simran Kaur
Simran Kaur
Sep 24, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

nice

Like

Rahul Jain
Rahul Jain
Sep 24, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

very nice

Like

Inderjit kaur
Inderjit kaur
Sep 24, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

nice

Like

Goldy Walia
Goldy Walia
Sep 24, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

very true

Like
SIGN UP AND STAY UPDATED!

Thanks for submitting!

  • Grey Twitter Icon
  • Grey LinkedIn Icon
  • Grey Facebook Icon

© 2024 by Hashtag Kalakar

bottom of page