By Varsha Neeraj Chaudhary
आज पुनः लिखने की इच्छा हुई तो लगा कि अब आरम्भ कर देना चाहिए। वैसे जब मै सुबह उठी थी,तभी से मन मे बहुत से विचार आ रहे थे।ये लिखना है,क्या यह लिखना सही है।
जब आप एक विषय पर कुछ लिखते है,सोचते है या बोलते है तो बेबाक होकर उस कार्य को करना चाहिए। तभी आप उस कार्य को सौ प्रतिशत सही ढंग से कर सकते है।जहाँ आपने सोचना प्रारंभ किया कि क्या यह सही है या गलत। इसका अर्थ यह हुआ कि आपने समझौता करना आरंभ कर दिया और आप अपनी भावनाओ को खुल कर व्यक्त नही कर पा रहे है।
मै एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हूं, जिसके कारण हाथों में कष्ट रहता है।इसके कारण मैं अधिक लिख नही पाती हूं। इच्छा तो बहुत होती है विचार भी आते हैं लेकिन काया की माया ऐसी है कि मुझसे कुछ भी अच्छा प्रदर्शन नही हो पाता है।बहुत सारे कार्य ऐसे है जिन्हे मै चाहकर भी नहीं कर पा रही हूं।
भगवान से भी कभी कभार लड़ने का मन करता है।कुछ भी पूर्ण रुप से अच्छा नही हो सकता है क्या मेरा।अध्ययन किया परन्तु रोजगार नही मिला।रोजगार। है परन्तु धन की प्राप्ति कुछ विशेष नही हो रही है।
मुझे पढ़ना और पढाना अच्छा लगाता है जिसके कारण मैं अध्यापिका की नौकरी कर रही हूं लेकिन मेरे पास इस क्षेत्र मे कोई विशेष योग्यता नही है, अतः कोई अच्छा विद्यालय पढ़ाने के लिए नही मिल सका।यद्यपि मै एक छोटी से विद्यालय में अध्यापन कार्य करती हूं, वहां मुझे पर्याप्त सम्मान व महत्व दिया जाता है।मेरा एक विशेष स्थान है तथापि मेरा मन उचट जाता है
कभी- कभी लगता है कि सदैव समझौता करना भी उचित नही है।जीवन समझौता करके ही गुजरता है,लेकिन तब आप केवल समय व्यतीत करते है ।अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते करते ही आपका समय व्यतीत हो जाता है।यदि आप जीवन जीना चाहते हैं तो आपके जीवन में यू-टर्न का आना अति आवश्यक है।
मुझे परेशानियों से सदैव डर लगा और हमेशा मेरी इच्छा एक सरल जीवन जीने की रही।शायद इसीलिए मेरे जीवन में यू-टर्न आते आते रह गया।फिर विशेष-------'
By Varsha Neeraj Chaudhary
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