By Smita Roy
कभी निकलो कोहिनूर की तलाश मे
तो मुझसे मिलते जाना
कोहिनूर भले ना मिले पर
मुझसे मिलने की खुशी जरूर होगी।
अब तुम पूछोगे क्यों तुम चाँद-तारे हो
हा मैं हु चाँद जैसी, है चाँद मे भी दाग
और है मुझमे भी एब।
हा! हु मैं तारों जैसी क्यों की
मैं भी दूसरों की रोशनी नहीं चमकती।
मैं हु जुगनुओ जैसी
आजादी से रोशनी फैलाती
लेकिन मेरी खूबियाँ जानने को
तुम्हें भी होना होगा रात।
तारें हो या जुगनू सबकी
खूबियाँ उभारने को
बनना होगा किसी को रात।
By Smita Roy
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