By Satya Deo Pathak
जो मिला वो कम नहीं
जिंदगी की राहों पर,
नही कोई है गम।
जो मिल गया वो मिल गया,
नही मिला वो मेरे करम।
जो पा लिया वो मेरा तकदीर था,
जो रह गया वो किसी और का नसीब था।
ज्यादा की ना प्यास थी,
जो मिला, है नही वो कम।
अंत नहीं है चाह का,
उठती हजार ख्वाइशें, होती जो एक खत्म।
रख थोड़ा सा हौसला,
बन जाएगा ये आसमान भी खादिम।
शिकवे ना कर खुदा से,
पूरी करे है वो ही तो मुरादें।
है दूर तक दिख रही उसकी इनायतें ,
ज़मी से लेकर फलक तक उसकी ही हैं रियायतें।
पाना है सभी को ये ज़मी और आसमान भी,
कीमत बस चैन, सुकून, और एहसास है।
गिरा के जमीर को,
ख्वाईसों को पाना बने नहीं रसम।
By Satya Deo Pathak
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